January 10, 2025 1:53 pm

सोशल मीडिया :

अयोध्यावासियों को कोसना बंद कीजिए |

आचार्य चाणक्य ने कहा है कि हार तब नहीं होती जब आप लड़ते लड़ते गिर जाएँ, बल्कि तब होती है जब आप उठने से इनकार कर दें। इससे भी बड़ी पराजय तब होती है जब आप ये मानने को तैयार ना हों कि आप गिर गए हैं। लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में सत्ताधारी भाजपा की खराब प्रदर्शन ने पूरे देश की सियासत की दिशा बदल दी। सियासत को एक छत्र से गठबंधन की बैसाखियों पर बैठा दिया। ये बात औऱ है कि जिस तरह से विपक्ष इसका उत्सव मना रहा है उसका दीर्घकालिक नुकसान विपक्ष को ही होगा। विपक्ष का सर्वश्रेष्ठ भाजपा के पिछले तीन चुनाव के सबसे खराब प्रदर्शन से कम है पर उत्तर प्रदेश ने सपा और कांग्रेस को खुश होने की वजह दे दी है। इस हार में सबसे ज्यादा पीड़ा भाजपा को फैजाबाद लोकसभा सीट ने दी है। इसी सीट में अयोध्या जिला आता है। पहले जिले का नाम भी फैजाबाद ही हुआ करता था।
राममंदिर के दिव्य और भव्य होने, प्रधानमंत्री के रोडशो औऱ दुनिया की निगाह होने के बावजूद अयोध्या की जनता ने सबको चौंका दिया। लोकसभा चुनाव का परिणाम आए करीब एक पखवाड़ा होने को है पर देश और दुनिया के लोग अयोध्या की जनता पर पिल पड़े हैं। कोई अयोध्या को गद्दार बता रहा है, कोई अयोध्या के लोगों के फैसले को माता सीता के वन गमन से जोड़ रहा है। सोशल मीडिया यूनीवर्सिटी के दर्जनों प्रोफेसर तो अयोध्या के लोगों अलग अलग तरह से दंड देने की बात कह रहे हैं। कोई कहता है कि अयोध्या जाओ तो अपना खाना पानी, प्रसाद, फूल माला लेकर जाओ जिससे अयोध्या के लोगों का फायदा ना हो। कोई कह रहा है कि अपनी गाड़ी से जाओ वहां के आटो रिक्शा वालों का लाभ ना हो जाए।
अभिव्यक्ति लोकतंत्र को शक्ति देती है, लेकिन ये अभिव्यक्ति अगर आंखों पर पट्टी बांध दे तो नुकसान का आयाम बड़ा होता जाता है। अयोध्या को कोसने वाले शायद कुछ लोग तब पैदा भी नहीं हुए थे जब अयोध्या में ही पूर्व सांसद लल्लू सिंह पहली बार विधायक बने थे। ऐसा भी नहीं है कि अयोध्या में पहली बार भाजपा हारी है। 2012 में भी समाजवादी पार्टी के तेजनारायरण पांडेय ने अयोध्या में सपा के टिकट पर इन्हीं लल्लू सिंह को हराया था। इस बीच अयोध्या लोकसभा से भाजपा को हार का मुंह देखना पड़ा है। बजरंग दल के संस्थापक फायर ब्रांड नेता विनय कटियार भाजपा से हार चुके हैं। इस बार की हार भी अतिविश्वास, आलस और विरोधी को महत्वहीन समझने की भूल की तरफ इशारा कर रही है।
यूपी में समाजवादी पार्टी ने जिस तरह से इस बार सोशल इंजीनियरिंग की है उसने भाजपा को पूरी तरह से हैरान कर दिया है। भाजपा का संगठन अति आत्मविश्वास में बैठा रहा। उसे लगता रहा कि मोदी मैजिक की छड़ी से सीटें उसे मिलनी ही है। वोटर 400 के नारे को लेकर घर पर बैठ गए। कार्यकर्ता नाराज थे वो वोटर के पास नहीं गए। और तो औऱ इस बार भाजपा के बहुत से प्रत्याशी वोट मांगने तक लोगों के पास नहीं पहुंचे।
अयोध्या की बात की जाय तो अयोध्या के ग्रामीण इलाकों में पासी जाति के वोटरों को संख्या बहुत बडी है। सपा ने पासी जाति के अपने प्रत्याशी को मैदान में उतारा। उन्होंने गांवों में पासी अस्मिता को लेकर वोट मांगा। बाकी काम यादव औऱ मुस्लिम वोटों की सोशल इंजीनियरिंग ने कर दिया। वहीं भाजपा के प्रत्याशी यानी लल्लू सिंह सिर्फ राम रथ पर सवार शहरी विधानसभाओं में अपना जनसंपर्क करते रहे। इस विश्वास के साथ कि पिछले 2 बार के लोकसभा चुनाव की तरह ही गैर यादव, गैर जाटव वोट उन्हें मिल ही जाएगा। उन्होंने 400 पार को संविधान बदलने से जोड़कर बयान दिया जिसने पिछडे औऱ दलित वर्ग को एक जुट कर दिया।
भाजपा प्रत्याशी के अलावा अयोध्या के ग्रामीण इलाकों में अयोध्या के विकास को लेकर भी उस तरह का उत्साह नहीं था जितना की अयोध्या के बाहर के लोगों को दिख रहा था। दरअसल ग्रामीण परवेश में विपक्ष ने ये बात अच्छी तरह से बिठा दी थी कि यहां के विकास का दायरा सिर्फ शहरी अयोध्या तक सीमित है। अयोध्या से लगे ग्रामीण इलाकों बीकापुर, मिल्कीपुर, गोसाईंगंज, मसौधा आदि इलाकों में लोगों को ये विकास अपना नहीं लग रहा था। इसके अलावा अयोध्या के विकास को लेकर यह बात भी स्थापित कर दी गयी थी कि यहां के विकास की मलाई तो बाहर वाले ही खाएंगे क्योंकि सारी जमीनें बाहर के लोगों ने ले रखी हैं।
सपा औऱ इंडी गठबंधन के प्रत्याशी अवधेश प्रसाद ने जातियों की गणित में बाहरी विकास की केमिस्ट्री को घोल कर भाजपा के लिए ऐसा सियासी नुस्खा तैयार किया जिसका एंटीडोट लल्लू सिंह के पास नहीं था। चुनाव परिणाम के बाद से भाजपा की हार का कारण ढूंढने के बजाय लोग अयोध्या के लोगों को कोस रहे हैं। वो भूल रहे हैं कि इस बार के चुनाव में तीसरी बार लगातार पीएम मोदी ने शपथ ली है तो इसमें रामलला का आशीर्वाद है। ओडिशा में पहली बार विपक्ष का सूपड़ा साफ हुआ है पहली बार भाजपा का सीएम बना है तो इसमें भी रामलला का ही आशीर्वाद है। जो साढ़े चार लाख से ज्यादा वोट अयोध्या में लल्लू सिंह को मिले हैं वो राम के नाम पर ही मिले हैं।
अब भाजपा के लोग राममंदिर औऱ अयोध्या के लोगों से दूरी बना रहे हैं। सोशल मीडिया पर अयोध्या को लोगों को गद्दार औऱ ना जाने किस नाम से पुकारा जा रहा है। भाजपा की चुप्पी औऱ सपा की आक्रमता इसे भाजपा के लिए दुरूह बनाती जा रही है। यही हाल रहा है तो भाजपा का सबसे मजबूत किले अयोध्या की सियासी दीवारें दरकती दिख सकती हैं। बेहतर है भाजपा का थिंक टैंक अयोध्या को कोसने के बजाय हार की वजह ढूंढे।
  अनुराग शुक्ला (वरिष्ठ पत्रकार)
Facebook
Twitter
LinkedIn
Email
WhatsApp

Leave a Comment

बड़ी ख़बरें

मौसम

क्रिकेट लाइव स्कोर

बड़ी ख़बरें