May 1, 2025 5:33 am

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लोकसभा सचिवालय ने राहुल की संसद वापसी पर दिया जवाब |

मोदी उपनाम मामले में राहुल गांधी की सजा पर SC रोक लगा चुका है। इस रोक के बाद पूरी कांग्रेस पार्टी उत्साहित नजर आ रही है। SC के फैसले के एक दिन बाद लोकसभा सचिवालय पुष्टि की कि उसे कांग्रेस पार्टी से दो पत्र मिले हैं। योग्‍यता के संबंध में राहुल गांधी की सदस्यता बहाल करने के फैसले से पहले इन सचिवालय को मिले इन पत्रों पर विचार किया जाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और राहुल के बेहद करीबी जयराम रमेश ने कहा कि सूरत की अदालत की ओर से दोषी ठहराए जाने के 26 घंटे के भीतर राहुल को अयोग्यता का नोटिस जारी हुआ। उस समय सारी प्रक्रिया काफी तेजी से हुई थी। ऐसे में उनकी सदस्यता भी उसी रफ्तार से बहाल की जानी चाहिए।

सचिवालय का जवाब

कांग्रेसी नेताओं द्वारा उठाए जा रहे सवाल पर प्रतिक्रिया देते हुए लोकसभा सचिवालय के पदाधिकारी ने कहा- दोनों स्थितियों की तुलना नहीं की जा सकती है। ‘सत्र न्यायालय का आदेश कार्य दिवसों के दौरान आया था। जबकि सुप्रीम कोर्ट का आदेश शुक्रवार को आया था। लोकसभा सचिवालय शनिवार और रविवार को बंद रहता है। कांग्रेस के पत्रों की जांच सोमवार को की जाएगी। इसके बाद योग्यता के आधार पर निर्णय लिया जाएगा।’

अविश्वास प्रस्ताव से एक दिन पहले हो सकती है वापसी

लोकसभा सचिवालय द्वारा दिए गए जवाब के बाद लगभग यह तय हो गया है कि राहुल गांधी लोकसभा में सरकार के खिलाफ अविश्वास पर मंगलवार को शुरू होने वाली दो दिवसीय बहस से एक दिन पहले संसद में लौट सकते हैं। इसके बाद 10 अगस्त गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदन में जवाब देंगे। बता एन कि इस प्रस्ताव से मोदी सरकार को कोई खतरा नहीं है। विपक्ष का मानना है कि वह मणिपुर में जारी जातीय हिंसा पर सरकार को घेरने की कोशिश के लिए इस अविश्वास प्रस्ताव पर होने वाली बहस का इस्तेमाल करना चाहता है।

मोदी उपनाम केस में राहुल गांधी की सजा पर रोक लगाते हुए जस्टिस गवई और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि राहुल गांधी को उनकी सार्वजनिक प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए टिप्पणी करने में अधिक सावधान रहना चाहिए था। जन प्रतिनिधित्व अधिनियम के तहत उन्हें केवल दो साल की जेल की सजा के कारण सांसद के रूप में अयोग्य ठहराया गया था। सजा एक दिन भी कम होने पर उनकी सदस्यता बच जाती। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि राहुल गांधी की सजा पर रोक तब तक लागू रहेगी जब तक सेशन कोर्ट में उनकी अपील लंबित है।

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