देश की तीनों सेनाओं के एकीकरण की दिशा में एक अहम कदम बढ़ाते हुए लोकसभा ने अंतर-सेवा संगठन (कमान, नियंत्रण और अनुशासन) विधेयक-2023 ध्वनिमत से पारित कर दिया। विधेयक में अंतर-सेवा संगठनों (आईएसओ) के कमांडर-इन-चीफ और ऑफिसर-इन-कमांड को अधिनस्थ कार्मिकों के संबंध में अनुशासनात्मक और प्रशासनिक शक्तियां मिल गई है।
अभी थलसेना, वायुसेना व नौसेना के कार्मिकों को इनके अलग अलग अधिनियमों के प्रावधानों के अनुसार नियंत्रित किया जाता था। यह तीनों सेनाओं के भावी एकीकरण या थिएटराइजेशन में एक बड़ी बाधा मानी जा रही थी। अब तीनों सेनाओं के कार्मिकों को मिलाकर बनने वाली किसी कमांड या इकाई के सभी कार्मिकों को अंतर सेवा संगठन विधेयक के प्रावधानों से ही नियंत्रित किया जा सकेगा यानी इन्हें अनुशासनात्मक कार्रवाई आदि के लिए मूल संगठन में भेजने की जरूरत नहीं होगी। कदाचार या अनुशासनहीनता के मामलों का शीघ्र निपटान होने के साथ अलग अलग तरह की कार्यवाहियों में लगने वाला धन व समय भी बचेगा।
लोकसभा में विधेयक पेश करते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इसे राष्ट्र को सशक्त बनाने के उद्देश्य से किए जा रहे सैन्य सुधारों की श्रृंखला का हिस्सा बताया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक सशस्त्र बलों के बीच एकीकरण और एकजुटतता की दिशा में उठाया गया एक महत्वपूर्ण कदम है। रक्षा मंत्री ने कहा कि आईएसओ विधेयक अनिवार्य रूप से एक सक्षम अधिनियम है। इसमें पिछले छह दशकों या उससे अधिक समय से चल रहे मौजूदा सेवा अधिनियमों, नियमों, विनियमों में किसी भी बदलाव का प्रस्ताव नहीं है।