बुधवार सुबह हुए एसिड अटैक की शिकार युवती की हालत गंभीर है। वह सदमे में है। केजीएमयू में भर्ती पीड़िता का 40 फीसदी चेहरा तेजाब से झुलसा है। इसमें दोनों गाल और पलकों पर घाव हैं। इसके रिकंस्ट्रक्शन में इलाज का निर्धारण करीब एक से डेढ़ सप्ताह बाद, घाव सूखने पर किया जाएगा। वहीं उसके मौसेरे भाई की पीठ 20 प्रतिशत झुलसी है।
घाव की गहराई का अंदाजा नहीं लगाया जा सकताः डॉ. विजय कुमार
केजीएमयू के प्लास्टिक सर्जरी विभागाध्यक्ष डॉ. विजय कुमार ने बताया कि युवती के घाव ताजे हैं, इसलिए घाव की गहराई का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता है। एक से दो सप्ताह में घाव सूखने पर, बर्न की गंभीरता पता चलेगी। इसके बाद तय किया जाएगा कि स्किन ग्राफ्टिंग (शरीर के अन्य हिस्से से स्वस्थ त्वचा लेकर प्रत्यारोपित करना) की जाए या रक्त आपूर्ति बरकरार रखते हुए त्वचा प्रत्यारोपण लगेगा। उसके भाई की पीठ के घाव ज्यादा गंभीर हैं। चेहरे को सामान्य स्थिति में लाए जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि घाव के निशान नहीं होंगे, लेकिन ग्राफ्टिंग के निशान जरूर दिखेंगे। घाव चेहरे के मुख्य हिस्से पर हैं, इसलिए प्रयास किया जाएगा कि चेहरे की सुंदरता को सुरक्षित रखा जाए और ग्राफ्टिंग के निशान कम दिखाई पड़ें।
योगी ने लिया हालचाल
तेजाब पीड़िता छात्रा के इलाज और उसकी स्थिति के बारे में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने केजीएमयू प्रशासन को कॉल कर जानकारी हासिल की। वहीं, डॉक्टरों को निर्देश दिया कि किसी भी तरह की दिक्कत नहीं होनी चाहिए।
बाजार में चार तरह के तेजाब ही उपलब्ध
केजीएमयू में माइक्रोबायोलॉजी विभाग की डॉ. शीतल वर्मा ने बताया कि सात प्रकार के तेजाब में अमूमन बाजार में चार प्रकार के तेजाब उपलब्ध होते हैं। सभी की मारक क्षमता बराबर होती है। यह उनके कन्संट्रेशन पर निर्भर करता है। बाजार में उपलब्ध सामान्य तेजाब में हाइड्रोक्लोरिक एसिड, सल्फ्यूरिक एसिड, नाइट्रिक एसिड और फ्लोरिक एसिड प्रमुख हैं। इनमें सबसे ज्यादा घातक फ्लोरिक एसिड होता है जो कि पानी डालने पर बढ़ता है।