विधानसभा का शीतकालीन सत्र 28 नवंबर से शुरू होने जा रहा है। सदन की कार्यवाही 66 साल बाद नए नियमों के साथ संचालित होगी। नए बदलावों में विधायकों को झंडा-बैनर तो दूर मोबाइल फोन तक भीतर ले जाने की अनुमति नहीं होगी। विधानमंडप में मोबाइल पर बैन लगाने के पीछे ठोस वजह भी है। चूंकि कार्यवाही अब हर किसी के मोबाइल पर लाइव रहती है, सो कुछ माननीयों की ‘निजी जिंदगी’ भी सार्वजनिक हो जाने की आशंका है। अब ऐसा नहीं होगा और सदन की गरिमा भी बनी रहेगी। पूर्व में इसके उदाहरण भी तमाम रहे हैं।
जानिए मौबाइल क्यों किया गया बैन
सितंबर 2022 को विधानसभा में मोबाइल पर तीन पत्ती खेलते सत्तारूढ़ दल के एक विधायक कैमरे में कैद हो गए थे। इसका वीडियो न केवल वायरल हुआ, बल्कि नेता प्रतिपक्ष अखिलेश यादव ने भी मौका न गंवाते हुए इस पर ट्वीट कर राजनीति साधी थी। सच पूछिए तो अपने देश में ही नहीं, विदेशों तक से माननीयों की ऐसी तस्वीरें, वीडियो सार्वजनिक हो चुके है, जिसमे वह संसदीय कार्यवाही के दौरान मोबाइल पर ‘पर्सनल’ थे। लगभग नौ साल पहले एक बानगी कर्नाटक विधानसभा में भी देखने को मिली। वहां कार्यवाही के दौरान गन्ना किसानों की समस्याओं पर चर्चा हो रही थी। तभी एक विधायक स्मार्टफोन पर प्रियंका गांधी की फोटो देखते निजी टीवी चैनल के कैमरे में कैद हो गए। इसी साल 9 फरवरी को सर्बिया के एक सांसद का सदन में पॉर्न देखते हुए वीडियो वायरल होने के बाद हंगामा मच गया। इसके चलते उन्हें पद से इस्तीफा देना पड़ा। 2012 में भी कर्नाटक विधानसभा से ऐसा नजारा सामने आया था।
इस बार महिला सदस्यों को खास वरीयता
विधान सभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन नियमावली 1965 में बदलाव के बाद विधानसभा सत्र नए नियमों के साथ संचालित होगा। पिछले सत्र में ही बदलावों को अनुमति मिलने के बाद अब इस सत्र से इन्हें लागू कर दिया जाएगा। साथ ही नारी शक्ति को प्राथमिकता देने के संकल्प का सदन में भी असर देखने को मिलेगा। सत्र के दौरान महिला सदस्यों को बोलने में खास वरीयता दी जाएगी। मंगलवार से शुरू होने जा रहे सत्र के पहले दिन सदन के वर्तमान और भूतपूर्व सदस्यों के निधन पर शोक व्यक्त किया जाएगा।