January 9, 2025 10:29 am

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गंभीर बीमारियों से पीड़ितों को मिलेगा होम्योपैथिक इलाज, योगी सरकार ने 7 कॉलेजों को बजट किया जारी

वह दिन दूर नहीं जब गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए लोग होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों की ओर रूख करेंगे और दवाओं के दुष्प्रभाव से बचकर स्वास्थ्य लाभ लेंगे। राजधानी स्थित राजकीय नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज की तरह ही राज्य के अन्य सभी होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में इंडोर सेवाएं मजबूत करने के निर्देश दिए गए हैं। इंडोर सेवाएं शुरू होने के बाद गंभीर मरीज होम्योपैथिक अस्पताल में भर्ती होकर पूर्ण इलाज करा सकेंगे। अस्पतालों में आवश्यक संसाधन जुटाने के लिए राज्य सरकार ने सात कॉलेजों को बजट जारी किया है। दरअसल, होम्योपैथिक कॉलेजों में बीमारियों की जांच के लिए पैथोलॉजी व मरीजों को भर्ती करने की सुविधा उपलब्ध है, मगर पूर्व में शासन व प्रशासन की उदासीनता से ये मेडिकल कॉलेजों में इंडोर सेवाएं हाशिए पर रही। प्रभावी होने के बावजूद अस्पतालों में भर्ती की सुविधा न होने की वजह से गंभीर मरीज होम्योपैथिक इलाज से वंचित रह जाते हैं।

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होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में मरीजों की भर्ती सुविधा शुरू करने के निर्देश
आयुष विभाग ने मामले को गंभीरता से लिया और होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में मरीजों की भर्ती सुविधा शुरू करने के निर्देश दिए। जिसके बाद मेडिकल कॉलेजों ने इंडोर सेवाएं शुरू करने के लिए जरूरत के संसाधनों में बेड साइड कैबिनेट विथ लाकर फार पेसेंट, बीपी इंस्ट्रूमेंट विद मर्करी स्टैंड, आटो ब्लड एनालाइजर, स्टोस्कोप, आक्सीजन कंसेंट्रेटर, लैब के लिए माइक्रोस्कोप व रिजेंट आदि कुल 26 उपकरणों की मांग की, जिन्हें विभाग द्वारा न केवल स्वीकृति प्रदान की बल्कि कुल 50 लाख का बजट जारी कर दिया। बजट पाने वाले होम्योपैथिक कॉलेजों में लखनऊ के राजकीय नेशनल होम्योपैथिक कॉलेज को सवा आठ लाख रूपए, मुरादाबाद के केजीके मेडिकल कॉलेज को छह लाख 90 हजार, प्रयागराज के लाल बहादुर शास्त्री कॉलेज को सात लाख, कानपुर के जवाहर लाल नेहरू कॉलेज को सवा सात लाख, गाजीपुर के सरकारी होम्योपैथिक कॉलेज को साढ़े छह लाख, अयोध्या के बृज किशोर होम्योपैथ को सात लाख से अधिक और आजमगढ़ के श्री दुर्गाजी होम्योपैथिक कॉलेज को सात लाख रूपए का बजट मिलेगा।

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भर्ती मरीजों पर ही पढाया जाता है पीजी छात्रों को
राजकीय नेशनल होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेज, लखनऊ के प्रधानाचार्य डॉ. डीके सोनकर का कहना है कि होम्योपैथिक कॉलेजों में इंडोर सेवाएं मिलना जरूरी है, क्योंकि परास्नातक की पढ़ाई में मरीजों का अहम स्थान है। क्योंकि पीजी छात्रों को विशेष बीमारी पर अध्ययन करना होता है। होम्योपैथिक कॉलेजों में मरीज भर्ती न होने से पीजी को ओपीडी मरीजों पर ही पढ़ाई पूरी करनी पड़ती है।

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