पंजाब समेत भारत के अन्य राज्यों से कनाडा जाते छात्रों व लोगों को फर्जी ट्रैवल एजैंटों से बचाने के लिए कनाडा सरकार ने अभियान चला दिया है। कैनेडियन एसोसिएशन ऑफ प्रोफैशनल इमीग्रेशन कंसल्टैंट्स के सदस्य डा. अरविन्द कुमार कादिआन ने बताया कि पंजाब समेत देश भर में इमीग्रेशन के नाम पर लूट का सबसे बड़ा कारण भारत में इमीग्रेशन सेवाओं की कोई नीति अथवा कानून का न होना है। भारत में केवल कामगार विदेश भेजने के लिए ही एजैंसी को रजिस्टर्ड करने की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि देश में 99 प्रतिशत कंसल्टैंट ऐसे हैं जिन्हें झोला छाप कंसल्टैंट कहा जा सकता है।

इधर कनाडा ने भी इस बारे में चेतना अभियान शुरू कर दिया है। आज चंडीगढ़ में पत्रकारों से बातचीत में कैनेडियन एसोसिएशन ऑफ प्रोफैशनल इमीग्रेशन कंसल्टैंट्स के सदस्य डा. अरविन्द कुमार कादिआन ने बताया कि उन्होंने इस सम्बन्ध में भारत सरकार और विभिन्न राज्य सरकारों के पास सूचना के अधिकार के तहत इस बारे में जानकारी मांगी थी। जवाब के मुताबिक अभी तक देश में आव्रजन वीजा, स्टडी वीजा, विजिटर वीजा जैसी सेवाओं के रैगुलेशन के लिए कोई नीति नहीं है।
पंजाब में सिर्फ 10 इमीग्रेशन एजैंट्स कैनेडियन एसोसिएशन ऑफ प्रोफैशनल इमीग्रेशन कंसल्टैंट्स से पंजीकृत
उन्होंने कहा कि एक डॉक्टर को प्रैक्टिस के लिए इंडियन मैडीकल एसोसिएशन के पास रजिस्टर्ड होना पड़ता है और ऐसे ही वकील को भी बार कौंसिल ऑफ इंडिया से रजिस्टर्ड होना पड़ता है परन्तु इमीग्रेशन वाले मामले में ऐसा कोई नियम नहीं है। यही वजह है कि इमीग्रेशन के नाम पर लोगों की लूट हो रही है। दिलचस्प बात यह भी है कि पंजाब भर में सिर्फ 10 इमीग्रेशन एजैंट्स ऐसे हैं जो कैनेडियन एसोसिएशन ऑफ प्रोफैशनल इमीग्रेशन कंसल्टैंट्स से पंजीकृत हैं और हरियाणा में इनकी संख्या महज 4 है परन्तु इमीग्रेशन के नाम पर हजारों दुकानें खुली हुई हैं जिनमें आईलैट्स के केंद्र भी शामिल हैं।