बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों की तैनाती के बावजूद मणिपुर में हिंसा नहीं रुक रही। रोजाना हो रही गोलीबारी-आगजनी के बीच अब खबर आ रही है कि इम्फाल पश्चिम जिले में उग्रवादियों की भीड़ ने अपने विरोधी समुदाय के 15 घरों में आग लगा दी और जमकर उत्पात मचाया। हिंसा के दौरान हुई गोलीबारी में एक 45 वर्षीय व्यक्ति के जांघ पर गोली लगी है। जिसके बाद उसे तुरंत रिम्स में भर्ती कराया गया है। फिलहाल युवक खतरे से बाहर है।
कुकी और मेतैई दोनों समुदाय के लोग एक दूसरे के जान के प्यासे बने हुए हैं। इससे पहले शुक्रवार की रात बिष्णुपुर जिले में मैतेई समुदाय के तीन लोगों की हत्या कर दी गई। इसके बाद गुस्साए कुकी समुदाय के लोग ने कुकी समुदाय के कई घरों को आग के हवाले कर दिया।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि कुछ लोग बफर जोन को पार करके मैतेई इलाकों में आए और भीड़भाड़ वाले इलाके में अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। बता दें कि बिष्णुपुर जिले के क्वाक्टा इलाके से दो किमी से आगे तक केंद्रीय बलों ने बफर जोन बनाया है। जिसको पार करके कुकी समुदाय के लोग मेतैई समुदाय के इलाके में पहुंचे थे।
लूटे गए हथियारों की बरामदगी के लिए चल रही छापेमारी
मणिपुर पुलिस ने अपने ट्विट में बताया कि पुलिस से लूटे गए हथियार और गोला-बारूद की बरामदगी के लिए सुरक्षा बल पहाड़ी और घाटी इलाकों में लगातार छापेमारी कर रही हैं। अब तक इस छापेमारी में घाटी के जिलों में 1057 हथियार और 14201 गोला-बारूद बरामद किए गए हैं और पहाड़ी जिलों में 138 हथियार और 121 गोला-बारूद बरामद हुए हैं।
मणिपुर में 3 मई को पहली बार हुई थी हिंसा
मणिपुर में 3 मई को सबसे पहले जातीय हिंसा की शुरुआत हुई थी। मैतेई समुदाय की अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किए जाने की मांग के विरोध में पहाड़ी जिलों में ‘आदिवासी एकजुटता मार्च’ आयोजित किया था। इसी दिन करीब 80 हजार लोग मार्च में शामिल हुए थे। इसी दौरान हिंसा भड़की। हिंसा में अब तक 160 से ज्यादा लोगों की जान चली गई और सैकड़ों लोग घायल हो गए।
मणिपुर की आबादी में मैतेई समुदाय की संख्या लगभग 53 प्रतिशत है और वे ज्यादातर इम्फाल घाटी में रहते हैं, जो टोटल एरिया का मात्र दस प्रतिशत है। कुकी और नागा समुदाय की आबादी 40 प्रतिशत से ज्यादा है। ये लोग पहाड़ी जिलों में रहते हैं। जो कुल क्षेत्र का 90 प्रतिशत है।
विवाद का कारण जानिए
कुकी समुदाय को अनुसूचित जनजाति का दर्जा मिला है, लेकिन मैतेई अनूसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे हैं। नागा और कुकी का साफ मानना है कि सारी विकास की मलाई मूल निवासी मैतेई ले लेते हैं। आजादी के समय कुकी समुदाय के लोग मात्र 4 प्रतिशत थे लेकिन बाद में इनकी आबादी एकाएक बढ़ी।
मणिपुर के सीएम बिरेन सिंह ने मौजूदा हालात के लिए म्यांमार से घुसपैठ और अवैध हथियारों को ही जिम्मेदार ठहराया है। करीब 200 सालों से कुकी को स्टेट का संरक्षण मिला। बाद में अधिकतर ने इसाई धर्म स्वीकार कर लिया जिसका फायदा मिला और एसटी स्टेटस भी मिला। अब सारा बवाल इसी मामले को लेकर मचा है।
