हिन्दी सिनेमा के महान एक्टर मरहूम दिलीप कुमार के मुंबई के पाली हिल इलाके के बंगले को तोड़ दिया जाएगा। दिलीप कुमार के परिवार ने तय किया है कि बंगले को ध्वस्त करके इस जगह पर एक रेजिडेंशियल बिल्डिंग बनाई जाए। इसके साथ ही दिलीप कुमार के कामों को बताने वाला एक म्यूजियम भी यहां बनाया जाएगा।
प्लॉट पर बनेगा 11 मंजिला अपार्टमेंट
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के सबसे महंगे इलाके में बने इस बंगले की 1.75 लाख वर्ग फुट जमीन पर 11 मंजिला अपार्टमेंट बनाया जाएगा। इसके ग्राउंड फ्लोर पर दिलीप कुमार की जिंदगी को दिखाते हुए एक म्यूजियम होगा, जिसका दरवाजा बिल्डिंग से अलग होगा।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, मुंबई के सबसे महंगे इलाके में बने इस बंगले की 1.75 लाख वर्ग फुट जमीन पर 11 मंजिला अपार्टमेंट बनाया जाएगा। इसके ग्राउंड फ्लोर पर दिलीप कुमार की जिंदगी को दिखाते हुए एक म्यूजियम होगा, जिसका दरवाजा बिल्डिंग से अलग होगा।
दिलीप कुमार के परिवार ने इस आलीशान प्रोजेक्ट के लिए रियल्टी डेवलपर अशर ग्रुप के साथ साझेदारी की है। यह प्रोजेक्ट 2027 तक पूरी हो जाएगी। इस रेजीडेंशियल टावर से 900 करोड़ रुपए का राजस्व मिलने की उम्मीद है।
बंगले के लिए कई साल चला था मुकदमा
दिलीप कुमार ने फिल्मों में सफलता मिलने के बाद साल 1953 में इस बंगले को कमरुद्दीन लतीफ से खरीदा था। इस बंगले पर समीर भोजवानी नाम के बिल्डर ने यह कहते हुए दावा किया था कि जिस जगह पर बंगला बना है। उसे 1923 में लतीफ ने मुलराज खतायु के परिवार से 99 साल की लीज पर लिया था। 1980 में उनके पिता ने ये प्रोपर्टी खतायु परिवार से खरीद ली थी। ऐसे में इस पर मालिकाना हक दिलीप कुमार के बजाय समीर भोजवानी का है। समीर ने कोर्ट में दिलीप कुमार को किराएदार कहा था। कई साल के मुकदमे के बाद 2019 में कोर्ट ने माना कि दिलीप ही प्रोपर्टी के असली मालिक हैं।
दिलीप कुमार ने फिल्मों में सफलता मिलने के बाद साल 1953 में इस बंगले को कमरुद्दीन लतीफ से खरीदा था। इस बंगले पर समीर भोजवानी नाम के बिल्डर ने यह कहते हुए दावा किया था कि जिस जगह पर बंगला बना है। उसे 1923 में लतीफ ने मुलराज खतायु के परिवार से 99 साल की लीज पर लिया था। 1980 में उनके पिता ने ये प्रोपर्टी खतायु परिवार से खरीद ली थी। ऐसे में इस पर मालिकाना हक दिलीप कुमार के बजाय समीर भोजवानी का है। समीर ने कोर्ट में दिलीप कुमार को किराएदार कहा था। कई साल के मुकदमे के बाद 2019 में कोर्ट ने माना कि दिलीप ही प्रोपर्टी के असली मालिक हैं।
