April 30, 2025 8:15 pm

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प्रधानमन्त्री मोदी द्वारा अपने जन्मदिन पर छोड़े गए चीतों में एक और की मौत, अब तक नौ मरे |

कूनो नेशनल पार्क से एक और दुखद खबर मिली है। यहां एक और चीते की मौत हो गई। खुले जंगल में रह रही मादा चीता धात्री की मौत की सूचना मिलते ही कूनो प्रबंधन हरकत में आया। इस सूचना के बाद प्रशासन और सरकार दोनों की चिंता बढ़ गई है। हालांकि अब तक यह खुलासा नहीं हुआ है कि उसकी मौत कैसे हुई? अब कूनो प्रबंधन से मिल रही जानकारी के अनुसार इस संदर्भ का एक अधिकृत प्रेस नोट जारी किया गया है।

कूनो में 14 चीतें बिल्कुल स्वस्थ

कूनो में 14 चीतें बिल्कुल स्वस्थ हैं। उनके स्वास्थ्य का लागतार परीक्षण किया जा रहा है। कूनो वन्यप्राणी चिकित्सक टीम और नामीबियाई एक्सपट्र्स इनका विशेष ध्यान रख रहे हैं। इस संदर्भ का एक प्रेस नोट भी वन प्रबंधन की ओर से जारी किया गया है। इस प्रेस नोट के मुताबिक अब कूनो राष्ट्रीय उद्यान में 6 मादा, 7 नर और 1 मादा शावक बोमा (बाड़ा) में रखे गए हैं। ये सभी स्वस्थ हैं। उनका लगातार परीक्षण किया जा रहा है। इनका परीक्षण खुद कूनो वन्यप्राणी चिकित्सक टीम और नामीबियाई एक्सपर्ट के द्वारा किया जा रहा है। बाहर विचरण कर रहे शेष 2 मादा चीतों को भी यही टीम संभाल रही है। वहीं इसी प्रेस नोट में बुधवार सुबह कूनो जंगल में मिले मादा चीता धात्री (टिबलिसी) की मृत्यु का भी जिक्र किया गया है। इसमें बताया गया है कि धात्री बुधवार सुबह जंगल में मृत मिली। उसका पोस्टमार्टम किए जाने की सूचना भी इसमें दी गई है।

कब-कब हुई चीतों की मौत

– पहली मौत 26 मार्च को मादा चीता साशा, किडनी इन्फेक्शन से मौत, जबकि 22-23 जनवरी को ही बीमार होने का पता चला था, लेकिन समय पर इलाज नहीं मिल पाया। वन विभाग ने इस पर तर्क दिया कि भारत आने से पहले ही 15 अगस्त 2022 को नामीबिया में साशा का ब्लड टेस्ट किया गया था। इसमें क्रिएटिनिन का स्तर 400 से ज्यादा था।

– दूसरी मौत 23 अप्रैल को नर चीता उदय की हुई। इसे 18 फरवरी को दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था। वन विभाग ने दावा किया कि पहले से बीमार था। मौत कार्डियक आर्टरी फेल होने के कारण हुई बताई गई थी।

– तीसरी मौत 9 मई को मादा चीता दक्षा की हुई, इसे भी 18 फरवरी को साउथ अफ्रीका से लाया गया था। दक्षा को बाड़े में मेटिंग के लिए भेजा गया था। मेटिंग के दौरान ही दक्षा घायल हो गई और बाद में उसकी मौत हो गई।

– चौथी मौत 23 मई को ज्वाला के शावक की हुई। इसे नामीबिया से लाया गया था। इसकी मौत का कारण ज्यादा गर्मी, डिहाइड्रेशन और कमजोरी की वजह से होना बताया गया था।

– पांचवीं और छठी मौत 25 मई को हुई। ये मौतें ज्वाला के दो और शावकों की थीं। इसका कारण भी ज्यादा तापमान और लू को माना गया।

– सातवीं मौत 11 जुलाई को तेजस की हुई। इसे दक्षिण अफ्रीका से लाया गया था। नर चीते तेजस की मौत को लेकर वन विभाग ने प्रेस नोट जारी किया था। इसके मुताबिक तेजस की मौत गर्दन पर चोट लगने और इन्फेक्शन के कारण हुई। जबकि बाद में सामने आया कि उसकी मौत का कारण उसके गले में डला कॉलर आईडी था। जिसकी वजह से उसे इन्फेक्शन हुआ। जबकि एक्सपर्ट के मुताबिक दक्षिण अफ्रीका से आए एक्सपर्ट ने पहले ही बता दिया था कि बारिश में इन्हें कॉलर नहीं पहनाई जानी चाहिए। लेकिन इस बात का ध्यान नहीं रखा गया।

– आठवीं मौत 14 जुलाई को दक्षिण अफ्रीका से लाए गए नर चीते सूरज की मौत हुई। वन विभाग के प्रेस नोट के मुताबिक मौत की वजह गर्दन और पीठ पर घाव होना है। जबकि बाद में सामने आया कि तेजस की तरह ही सूरज की मौत भी गले में पड़े कॉलर आईडी की वजह से हुए इन्फेक्शन से हुई।

– 9वीं मौत की सूचना आज बुधवार 2 अगस्त को मिली है।

14 चीते स्वस्थ
बयान में आगे कहा गया कि कूनो नेशनल पार्क में रखे गए 14 चीते (7 नर, 6 मादा और एक शावक) स्वस्थ हैं। कूनो वन्यप्राणी चिकित्सक टीम एवं नामीबियाई विशेषज्ञ के द्वारा चीतों का लगातार स्वास्थ्य परीक्षण किया जा रहा है।

कूनो नेशनल पार्क में ही रहेंगे चीते
इससे पहले, केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा था कि चीते कूनो नेशनल पार्क में ही रहेंगे। उन्होंने कहा था कि हम अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों समेत विशेषज्ञों के संपर्क में हैं। हमारी टीम वहां का दौरा करेगी। चीतों को शिफ्ट नहीं किया जाएगा और वे कूनो में ही रहेंगे।
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